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कल के करोड़पति!

आज कल जिस तरीके से Inheritence Tax और wealth redistribution के बारे में लोग रोष (और जोश) में आकर चर्चा कर रहे हैं, किसी को लगेगा के यह देश करोड़पतियों से भरा पड़ा है!

सच बात तो यह है भाई, कि अगर आप ₹२५,००० महीना भी कमा लेते हो तो आप भारत के सबसे अमीर १०% में गिने जाओगे। अगर आप ₹१,२०,०० महीना कमा लेते हो, तो आप ऊपर के ५% में हो। इस देश के आधे से अधिक लोगों के पास, जिनका कुल मासिक उत्पन्न ₹६,००० से भी कम है, तो कोई संपत्ति (wealth) ही नही है! तो टैक्स किस बात का? और, भाईजान, तुम कहां के नवाब हो जो wealth और inheritence की इतनी चिंता है? किस पुश्तैनी जायदाद की फिक्र लगी है तुम्हे, जिसके ऊपर टैक्स लग सके?

तो फिर, इतनी चर्चा और बहस क्यों है? क्योंकि हर एक मध्यमवर्गीय हिंदुस्तानी अपने आप को गरीब नही, बल्कि एक (जल्द ही) अमीर होनेवाला करोड़पति समझता है।

In our mind’s eye, we aren’t the middle class, which is one medical emergency away from poverty, but billionaires in waiting, with a jackpot success right around the corner. And we are against all efforts to tax the rich because that isn’t someone else we’re talking about…it’s the future us!

जो जन्मजात धनवान हैं, उन्होंने हमें इस भ्रम में रखने का षड्यंत्र रचा है, और इस खेल में सारे संचार माध्यम, नेता, अभिनेता, पंडित, पुरोहित, और सेठ लोग शामिल हैं। क्योंकि यह इनके पेट का सवाल है। जब तक हम इस भ्रम में रहें, यह लोग अपनी जेबें भरते रहेंगे। यह लोग हमें यह दर्शाते हैं कि सफलता, कामयाबी, और अनगिनत संपत्ति हमारे बस मैं है, अगर हम बहुत सारी मेहनत करें और थोड़ी किस्मत साथ दे; इसलिए हमें अमीरों और धनवानों की तरफ से लड़ना है; हमें करोड़पतियों को संरक्षित करना है; उनपे कोई आंच न आ पाए। इसलिए नहीं की हमें इसे कोई फायदा है, बल्कि इसलिए के जब (अगर नही, जब) हम भी करोड़पति बनेंगे, तो हमारा (भविष्य का, काल्पनिक) पैसा सुरक्षित रहे!

इन लोगों ने हमें अचकन और सलवार के, टोपी और जूते के, हाथी और घोड़े के, हीरे और जवाहरात के सपने दिखाते-दिखाते हमारे कच्छे का नाड़ा कब खींच लिया, हमें पता तक नहीं चला!

सच बात तो यह है कि हम मानसिक तौर पे इतने कमजोर हो गए हैं की हमारा ध्यान हमारे रोजमर्रा की बातों से, रोटी-कपड़ा-मकान-बिजली-पानी से, महंगाई से, भुखमरी से, शिक्षा और स्वास्थ्य से, वातावरण और पर्यावरण से, एकता और भाईचारे से, सुरक्षा और शांति से हटाना किसी भी ऐरे-गैरे-नत्थू-खैरे के बाएं हाथ का खेल हो गया है। बस वह उंगली उठता है…और हम नाचने लग जाते हैं।

हम कितने भोले हैं! वाह! नाचो भेंचो!

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