Zeitgeist

सब तुम्हारा

कोतवाल तुम्हारा, कोतवाली तुम्हारी
न्यायाधीश तुम्हारे, न्याय तुम्हारा
संसद तुम्हारी, सांसद तुम्हारे
फ़ौज तुम्हारी, फौजी तुम्हारे
पत्र तुम्हारे, पत्रकार तुम्हारा
चित्र तुम्हारे, चित्रकार तुम्हारा
सर तुम्हारा, ताज तुम्हारा
कर तुम्हारा, सरचार्ज तुम्हारा
दंड तुम्हारा, डंडा तुम्हारा
जेल तुम्हारा, जेलर तुम्हारा
धन तुम्हारा, धनी तुम्हारा
धर्म तुम्हारा, सनातनी तुम्हारा
गर्व तुम्हारा, हर वर्ग तुम्हारा
धरती तुम्हारी, स्वर्ग तुम्हारा
ऊपर तुम्हारा, नीचे तुम्हारा
आगे तुम्हारा, पीछे तुम्हारा
रोटी तुम्हारी, बोटी तुम्हारी
हड्डी तुम्हारी, चड्डी तुम्हारी
वस्त्र तुम्हारे, शस्त्र तुम्हारे
शास्त्र तुम्हारे, शास्त्रज्ञ तुम्हारे
मकान तुम्हारे, दुकान तुम्हारे
जुबान तुम्हारी, कान तुम्हारे
छीनने के लिए न कुछ रहेगा जब
हो जायेगा तुम्हारा ही तुम्हारा सब
क्या थक कर रुक जाओगे तब
या सोचोगे कुछ नयी सबब
हमारी खाल भी उधेड़ने के लिए?
एक सवाल पूछूं, छोटा सा?
जब खाल भी खींच लोगे
तो करोगे क्या उसका?
Did you like what you read? Share it with friends.

You may also like

1 Comment

  1. समर्पक…

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in Zeitgeist