न्यायाधीश तुम्हारे, न्याय तुम्हारा
फ़ौज तुम्हारी, फौजी तुम्हारे
चित्र तुम्हारे, चित्रकार तुम्हारा
कर तुम्हारा, सरचार्ज तुम्हारा
जेल तुम्हारा, जेलर तुम्हारा
धर्म तुम्हारा, सनातनी तुम्हारा
धरती तुम्हारी, स्वर्ग तुम्हारा
आगे तुम्हारा, पीछे तुम्हारा
हड्डी तुम्हारी, चड्डी तुम्हारी
शास्त्र तुम्हारे, शास्त्रज्ञ तुम्हारे
जुबान तुम्हारी, कान तुम्हारे
हो जायेगा तुम्हारा ही तुम्हारा सब
क्या थक कर रुक जाओगे तब
या सोचोगे कुछ नयी सबब
हमारी खाल भी उधेड़ने के लिए?
जब खाल भी खींच लोगे
तो करोगे क्या उसका?
समर्पक…